पुण्यश्लोक अहिल्यादेवी होलकर त्रि शताब्दी वर्ष श्रृंखला 24 = कुशल प्रशासिका अहिल्यादेवी भाग दो
अहिल्यादेवी अधिकारियों की नियुक्ति के लिये स्वतंत्र थी और अल्प समय के लिये ही अधिकारी को नियुक्ति दी जाती थी । जिन अधिकारियों की अहिल्यादेवी के दरबार मे शिकायत नहीं होती थी वह व्यवहारिक रूप से अपने कार्य की अवधि का नवीनीकरण भी करा सकते थे। अहिल्यादेवी प्रजा के हित मे अपना हित मानती थी। अहिल्यादेवी चाहती थी किसान,व्यापारी तथा प्रत्येक वर्ग हर दृष्टि से सुखी रहे, उनका ध्येय वाक्य था "सर्व जन हिताय सर्व जन सुखाय " इस को देखते हुवे अहिल्यादेवी ने राज्य मे शासन द्वारा कुछ नए नियमों का सूत्रपात किया। मामलतदारों को निम्न लिखित नियमों का पालन करना होता था:
1. जिस भी परगने मे मामलतदार नियुक्त हैं वहां वेतन, पालकी और स्थानीय अधिकारियों के भोजन आदि के लिये वार्षिक आय तीस हज़ार रुपए तक का धन दिया जाता था।
2. सरकार के जमींदार, फड़णवीस को विभाग और क्षमता के अनुसार प्रति माह कार्य दिया जाये।
3. कुछ भील लुटेरो और डाकुओ पर कठोरता से कार्यवाही की जाये।
4. परगने के किसानों को संतुष्ट रखा जाए और कृषकों को खेती के लिये प्रोत्साहन दे तथा उनका हाल-चाल लेते रहे व खेती मे कितनी उपज होती हैं उसकी जानकारी लेते रहे।
5. मंदिरो मे आर्थिक दान तथा ब्राह्मण को दान अनुदान दिया जाता रहे।
6. वर्षा के अभाव मे या खेतों से सेना के गुजरने के कारण किसानो को होने वाली हानि के लिये किसानों को भत्ता दिया जाय।
अहिल्यादेवी द्वारा निकाले गए इन आदेशों से यह पता चलता हैं कि अहिल्यादेवी प्रजा की सुख शांति के लिये बहुत सजग थी।
संदर्भ - होलकर राज्य की प्रशासनिक व्यवस्था
लेखक- ज्योत्सना होलकर
संकलन -स्वयंसेवक एवं टीम
प्रस्तुति अशोक जी पोरवाल
पुण्यश्लोक अहिल्यादेवी होलकर त्रि शताब्दी वर्ष श्रृंखला 25 =कुशल प्रशासिका अहिल्यादेवी भाग तीन
मालवा राज्य के संचालन के लिए कई अधिकारियों की आवश्यकता होती थी, क्योंकि प्रजा का राजा मुखिया की भूमिका में होता था तो प्रजा के कल्याण के लिए योजनाए बनाने वाले अधिकारी की भी आवश्यकता होती थी।
चिटणीस - राज्य मे चिटणीस का पद भी महत्वपूर्ण होता था, यह राज्य का सचिव था। अहिल्यादेवी ने उनके शासनकाल के दौरान नीलकंठराव तुकदेव को चिटणीस के पद पर नियुक्त किया था। चिटणीस को राज्य के राजकीय पत्र-व्यवहार का कार्य देखने की जिम्मेदारी दी थी। चिटणीस गोपनीय और सार्वजनिक दोनों ही तरह के पत्र संभालता था। वह पत्र लिखता भी था और पत्रों के उत्तर भी देता था। इस कार्य के लिये नीलकंठराव तुकदेव को ₹1500 वेतन प्राप्त होता था।
पोतदार- मराठा प्रशासनिक व्यवस्था मे इस अधिकारी का बहुत महत्व होता था। पोतदार सिक्को का परीक्षक की जिम्मेदारी संभालता था तथा सिक्को की शुद्धता, वजन और मिश्रित धातुओं की परख भी करता था। वह जितना कार्य करता था उस हिसाब से उस कार्य के लिये उसे योगदान राशि दी जाती थी।
दरख़दार : महलो से संबंधित कागज पत्रों की व्यवस्था देखना तथा उसके रख-रखाव के लिये कार्य करता था। इसका पद वंश परंपरागत अनुसार चलता था। अहिल्यादेवी के शासन में दरखदार की जिम्मेदारी कमावीसदार और मामलतदारो द्वारा बनाये गए आय-व्यय की जाँच करना था और उनके कार्यो पर नियंत्रण रखता था।
संदर्भ - होलकर राज्य की प्रशासनिक व्यवस्था
लेखक - ज्योत्सना होलकर
संकलन - स्वयंसेवक एवं टीम
हर हर महादेव 🙏
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