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पुण्यश्लोक अहिल्यादेवी होलकर त्रि शताब्दी वर्ष : श्रृंखला =19 न्यायप्रिय अहिल्यादेवी भाग दो अहिल्यादेवी को न्याय की देवी कहकर पुकारते थे ।

 पुण्यश्लोक अहिल्यादेवी होलकर त्रि शताब्दी वर्ष : 

श्रृंखला =19 

न्यायप्रिय अहिल्यादेवी भाग दो 

अहिल्यादेवी को न्याय की देवी कहकर पुकारते थे । अहिल्यादेवी की शासन प्रशासन व्यवस्था सिर्फ मालवा राज्य तक थी किन्तु उनका ध्येय सम्पूर्ण मानवजाति के कल्याण के लिये था, उनके राज-दरबार मे दूर-दूर से लोग आकर अपनी समस्याएं बताया करते थे । 


अहिल्या देवी की न्याय परायणता के कारण लोग अपने व्यक्तिगत जीवन से जुड़ी पारिवारिक समस्याओं को लेकर भी अहिल्यादेवी के पास जाते थे और अहिल्या देवी एक परिवार की सदस्य के भांति दोनो पक्षों का निपटारा करा देती थी और लोग श्रद्धा से अहिल्या देवी की बात का सम्मान करते थे तथा अहिल्या देवी के प्रति लोगो का इतना सम्मान था की यदि कोई व्यक्ति देवी की बात नहीं मानता तो वह स्वयं को पापी मानता था। 

अहिल्यादेवी होलकर महिलाओ के साथ अपराधिक विषयों मे बहुत सख्त थी,अहिल्या देवी के शासन मे सख्त नियम लागू किया था कि यदि कोई महिला देवी के दरबार मे शिकायत लेकर आयेगी तब सभी पुरुषों को दरबार से बाहर जाकर खड़े रहना होगा, चाहे वह कोई भी हो, अहिल्या देवी चाहती थी की स्त्री अपनी शिकायत बिना भयभीत हुवे उनके के समक्ष रखे इसलिये अहिल्या देवी के इस सख्ती भरे कानून का सभी को पालन करना पड़ता था। 

होलकर राज्य की स्थापना के बाद अहिल्यादेवी के शासनकाल मे मालवा राज्य मे न्यायालयों की स्थापना हुई अहिल्यादेवी ने प्रजा को न्याय उपलब्ध कराने के उद्देश्य से जगह-जगह न्यायालयों को स्थापित किया  एवं उनमे  योग्य न्यायाधीशों की नियुक्तियां भी की। अठारहवीं सदी मे वाहन नहीं होते थे और गाँव मे रहने वाले लोगो को न्याय कैसे मिलेगा इस चिंता की वजह से अहिल्यादेवी ने मालवा राज्य के गांव-गांव मे न्याय पंचायतों की स्थापना की । 

इन न्यायालयों के कारण लोगो को सरलता से गांव मे ही बैठे-बैठे न्याय उपलब्ध हो जाता था, उन्हें महेश्वर जाने की आवश्यकता नहीं पड़ती थी और इन ग्राम पंचायतों की सुनवाई की व्यवस्था समय-समय पर महेश्वर मे अहिल्या देवी के पास पहुंचाई जाती थी। यदि कोई व्यक्ति ग्राम पंचायत या न्यायालय से मिले न्याय से संतुष्ट नहीं हैं तो उसे महेश्वर दरबार मे जाकर अपनी शिकायत रखने का भी अधिकार था तथा अहिल्या देवी स्वयं फिर उस व्यक्ति के प्रकरण मे अपना निर्णय सुनाती थी। 

अहिल्यादेवी के शासन मे इस बात का विशेष ध्यान रखा जाता था की कोई  धनवान, शक्तिशाली व्यक्ति किसी गरीब पर अत्याचार नहीं करे। गरीब, धनवान, शक्तिशाली, अशक्त कोई भी हो देवी के शासन मे सभी को न्याय मिलता था। अपराधी - अपराधी होता हैं, उसके धन की वजह से उसका कृत्य माफ नहीं किया जाता था ।

एक बार अहिल्या देवी के ध्यान मे यह बात लाई गई की प्रशासकीय त्रुटि के कारण एक व्यक्ति के साथ अन्याय हुआ हैं अहिल्या देवी ने अपने आदेश से तुरंत ही उस त्रुटि को सुधार कर प्रभावित व्यक्ति को न्याय प्रदान किया। 

एक बार का प्रसंग हैं की राणो जी थीटे नामक एक व्यक्ति अहिल्या देवी के दरबार मे आये व उनके सामने  कुछ दस्तावेज प्रस्तुत करते हुवे कहां की उनके पितामह स्व: महादजी थीटे केंदुरकर द्वारा स्व: मल्हारराव होलकर को दो घोड़े ख़रीदने के लिए कुछ धनराशि उधार दी गयी थी जो उन्हें राज्य द्वारा लौटाया नहीं गया था। अहिल्यादेवी ने दस्तावेजों की जांच परख करके प्रशासनिक अधिकारियों को तुरंत आदेश दिया की पुराने कर्ज को तुरंत चुकाया जाये । 

एक बार एक व्यक्ति के ₹1200 अधिकारी ने राजकीय कोष मे जमा कर दिए बाद मे उस व्यक्ति के भाई ने अपने-आप को उस व्यक्ति का वारिस होने की बात कही एवं देवी से वापिस ₹1200 की मांग की तब अहिल्या देवी ने तुरंत जांच करने के बाद अधिकारी को ₹1200 लौटाने का आदेश दिया। 

अहिल्यादेवी होलकर न्याय की मूर्ति थी, वे कठोर थी तो कोमल भी, नारी को समाज मे उचित स्थान देने के लिये वह सदेव तत्पर रहती थी। 

एक बार निमाड़ से एक विधवा महिला अहिल्या देवी के दरबार मे आई तथा उसने उनके के समक्ष अपनी इच्छा प्रकट करते हुवे कहां- “ मैं नि: संतान हूँ तथा मेरी सारी संपत्ति रिश्तेदार हड़पना चाहते हैं, इसलिये यह सारी सम्पत्ति मैं आपको समर्पित करना चाहती हूँ । 

अहिल्या देवी ने प्रत्युत्तर मे कहां - “इस सम्पत्ति पर सिर्फ़ तुम्हारा अधिकार हैं, इसे तुम्हें अच्छे कार्यों मे खर्च करना चाहिये व इस धन को लोकोपयोगी कार्यो मे खर्च करो।” अहिल्या देवी की सलाह से उस विधवा ने सारे धन को लोकोपयोगी कार्यों मे  खर्च किया । अहिल्या देवी की न्याय परायणता व उनके प्रति श्रद्धा के कारण लोग उन्हें अपनी संपत्ति सोपने भी आते थे, अहिल्या देवी ऐसे लोगो को सलाह देती थी की इस धन का आप स्वयं के विवेक व बुद्धि से सही जगह उपयोग करे । निरंतर 


संदर्भ - लोकमाता अहिल्याबाई 

लेखक - अरविंद जावलेकर 

संकलन - स्वयंसेवक एवं टीम 

प्रस्तुति अशोक जी पोरवाल 

🙏हर हर महादेव🙏

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