कैसे? द बर्निंग ट्रेन बनी बैतूल-छिंदवाड़ा पैसेंजर
आगजनी कांड में आरपीएफ की कार्य प्रणाली पर उठ रहे सवाल
समाजसेवी ने रेलवे सुरक्षा में लगाया लापरवाही का आरोप, उप स्टेशन प्रबंधक को सौंपा ज्ञापन
बेतुल। विगत 23 नवंबर को बैतूल-छिंदवाड़ा पैसेंजर ट्रेन क्रमांक 09589 में लगी भीषण आग के कारणों का अभी तक खुलासा नहीं हो पाया है। अब लोगों में यह रहस्य बन गया है कि बैतूल-छिंदवाड़ा पैसेंजर कैसे द बर्निंग ट्रेन बनी। इस घटना में आरपीएफ के खिलाफ लापरवाही के आरोप लग रहे हैं। इस मामले में समाजसेवी अभिषेक मांडेकर ने उप स्टेशन प्रबंधक को ज्ञापन सौंपकर आरपीएफ की कार्य प्रणाली पर गंभीर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि यार्ड में खड़ी उक्त पैसेंजर ट्रेन में आर.पी.एफ. ने अपने किसी सिपाही को ड्यूटी पर लगाया था या नहीं और लगाया था तो स्वयं सामने रहकर गाड़ी को यार्ड में लगाने से पहले गेट खिड़की बंद करने की कार्यवाही की गई थी या नहीं। इसकी जांच की जानी चाहिए। क्योंकि रेलवे की संपत्ति की सुरक्षा करना आरपीएफ का दायित्व होता है। उन्होंने कहा बैतूल में आगजनी से रेलवे को करोड़ों रूपयों का नुकसान पहुंचा है।
--अब तक किसी भी निष्कर्ष पर नहीं पहुंची रेलवे--
बता दें कि पिछले 23 नवंबर को छिंदवाड़ा जाने के पहले यार्ड से प्लेटफार्म पर आ रही बैतूल छिंदवाड़ा पैसेंजर ट्रेन की तीन बोगियों में आग लग गई थी। इसकी फॉरेंसिक जांच शुरू की गई है। लेकिन अब तक रेलवे इस मामले में किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंची है। जिस दिन यह हादसा हुआ आरपीएफ के कमांडेंट खुद मौके पर मौजूद थे। जानकारों के मुताबिक रेलवे यार्ड में खड़ी गाड़ियों, माल गोदाम समेत अन्य रेलवे संसाधनों की सुरक्षा की जिम्मेदारी रेल सुरक्षा बल की है। जिस दिन यह हादसा हुआ। पैसेंजर ट्रेन में सुरक्षा की बड़ी चूक सामने आई। माना जा रहा है कि ट्रेन में उस समय सुरक्षा के लिए कोई मौजूद होता तो इतनी बड़ी दुर्घटना नही होती। इस चूक पर अब तक आरपीएफ पोस्ट बैतूल में किसी की जिम्मेदारी नहीं तय की गई है। हालांकि इस मामले में रेलवे रेल प्रबंधन ने डीआरएम के नेतृत्व में जांच कमेटी बनाई है। जिसकी फिलहाल कोई रिपोर्ट नहीं आई है।
--बैतूल स्टेशन अपराधों के मामले में बना हाटस्पाट--
मांडेकर ने कहा कि यदि आगजनी की संगीन जांच की जाए तो आरपीएफ की जवाबदारी तय होती है। इसके साथ उन्होंने यह आरोप भी लगाए कि बैतूल स्टेशन पर अवैध वेण्डर कई तरह के अपराध कर रहे हैं चाहे वह महिला की सुरक्षा की बात हो या अन्य यात्रियों की। बैतूल स्टेशन अपराधों के मामले में हाटस्पाट बना हुआ है। आरपीएफ की लचर कार्यप्रणाली के चलते यहां पर असामाजिक तत्वों में खौफ नहीं बचा और अवैध वेण्डर के हौसले बुलंद हो रहे हैं। यात्रियों की जान के साथ खुलमखुल्ला खिलवाड़ हो रहा है। अभिषेक मांडेकर ने शिकायत की प्रतिलिपि सांसद को भी प्रेषित करते हुए बैतूल स्टेशन में हुये आगजनी काण्ड की उच्च स्तरीय जांच करने की मांग की। उन्होंने कहा कि इस मामले में जिम्मेदारों की जवाबदेही तय की जाए।
--एक नजर--
घटना दिनांक को बैतूल-छिंदवाड़ा पैसेंजर ट्रेन क्रमांक 09589 दोपहर 12.30 बजे बैतूल पहुंचती है। इसके बाद इसे लूप लाइन पर खड़ी कर दिया जाता है। शाम 4 बजे यह ट्रेन बैतूल से वापस छिंदवाड़ा के लिए निकलती है। बुधवार शाम 4 बजे रवाना ट्रेन को रवाना होना था। दोपहर में जब ट्रेन को लूप लाइन से प्लेटफार्म क्रमांक एक पर लाया जा रहा था। उसी दौरान पहले एक डिब्बे में धुआं उठता दिखाई दिया। लोग जब तक कुछ समझ पाते, आग ने विकराल रूप ले लिया। कुछ ही देर में दो डिब्बे आग की लपटों में घिर गए। घटना की सूचना मिलते ही रेलवे हडक़ंप मच गया और रेलवे कर्मचारी तत्काल मौके पर पहुंचे। घटना के समय ट्रेन में कोई यात्री सवार नहीं था। आग लगते ही फायर ब्रिगेड को सूचना दी गई लेकिन रेलवे ट्रैक तक पहुंच नहीं पाईं। इसके बाद रेल प्रशासन ने ट्रेन को दो हिस्सों में बांट कर बोगियों को बचाने का प्रयास किया। आग कैसे लगी इसका कारण अभी स्पष्ट नहीं हो सका है। फिलहाल रेल प्रशासन के अधिकारी, आरपीएफ, जीआरपी कर्मचारी जांच में जुटे हुए हैं।
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