दीवाल पोत दूंगा

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सौभाग्य प्राप्ति के लिए किसी नक्षत्र में कुछ खरीदी बिक्री का संबंध नहीं है सौभाग्य प्राप्ति के लिए आज स्वास्थ्य की सबसे बड़ी महत्वपूर्ण चिंता की बात है अगर कुछ खरीदना है तो स्वास्थ्य के लिए उपाय कीजिए और भगवान धन्वंतरि के उपचार और बताएं आहार विहार का पालन कर जीवन को स्वस्थ सौभाग्य और समृद्धि साली बनाएं


 आज धन्वन्तरि दिवस है। धन्वन्तरि प्राचीन भारत के एक महान चिकित्सक थे जिन्हें देवत्व प्राप्त हुआ था। धन्वन्तरि जी का जन्म काशी नगरी के संस्थापक काश के पुत्र धन्व की तपस्या के फलीभूत कार्तिक माह की कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को हुआ था। जब भगवान धन्वन्तरि का जन्म हुआ तो उनके एक हाथ में अमृत कलश था जो कि पीतल का था। संभवतः इसी कलश के कारण हिंदू धन्वन्तरि दिवस के दिन सौभाग्य, समृद्धि और आरोग्य की कामना से बरतन ख़रीदने लगे। लेकिन कालांतर में भोजन और जल को शुद्ध करने वाले पीतल को छोड़ लोग खाद्य सामग्रियों को दूषित करने वाले स्टील,एल्युमीनियम जैसी धातुओं से बने बरतन के साथ ही सोना-चाँदी ख़रीद समृद्धि और सौभाग्य की कामना करने लगे और आरोग्य कहीं दूर बहुत पीछे छोड़ आये।


हेल्थ इज़ वेल्थ को सिर्फ़ रटने ही नहीं समझने की भी आवश्यकता है। जिमर, योगाचार्य, सात्विक भोजन करने वाले और अनियमित दिनचर्या वाले सभी वर्ग-सभी आयु के लोग आज हार्ट अटैक का शिकार हो रहे हैं। वजह क्या है किसी को समझ नहीं आ रहा है। मीडिया भी बता रहा है कि पुष्य नक्षत्र को सोना ख़रीदने से सौभाग्य की प्राप्ति होगी, नवरात्रि में निवेश करने से समृद्धि आएगी और दीपावली/धनतेरस में ख़रीदी करने से ईश्वरीय कृपा आएगी। ये सब फ़ालतू बातें हैं जो कि बाज़ारवाद की देन हैं।


पुष्य नक्षत्र में सोना ख़रीदने से नहीं बल्कि स्वर्ण प्राशन से समृद्धि आती है। नवरात्रि में ज़मीन जायदाद में नहीं बल्कि प्रथम दिन माँ शैलपुत्री को याद कर हरड़, दूसरे दिन माँ ब्रह्मचारिणी का स्मरण कर ब्राह्मी, तीसरे दिन माँ चन्द्रघंटा का आह्वान कर चन्दुसूर (चर्महन्ती), चौथे दिन माँ कूष्मांडा का ध्यान कर कुम्हडा, पाँचवे दिन माँ स्कंदमाता का पूजन कर अलसी, छटवें दिन माँ कात्यायनी को साक्षी मान मोइया,सातवें दिन माँ कालरात्रि को जाग्रत कर नागदौन, आठवें दिन महागौरी का पूजन कर तुलसी और नौवें दिन माँ सिद्धीदात्री को सिद्ध कर शतावरी का चिकित्सकीय परामर्श के बाद सेवन कर स्वास्थ्य में निवेश करने से आरोग्य की प्राप्ति होगी। धनतेरस को जब आप धन्वन्तरि दिवस समझ अपनी पाकशाला में पीतल, ताँबे और काँसे के बरतनों को स्थान देंगे तब समृद्धि आएगी।


आइये आपको धन्वन्तरि जी का और परिचय देता हूँ। इन्हें आरोग्य का देवता कहा जाता है। इनके वंश में पैदा हुए दिवोदास ने विश्व का पहला शल्य चिकित्सा विद्यालय काशी में स्थापित किया था। जिसके प्रधानाचार्य ऋषि सुश्रुत बनाये गये थे जो कि विश्वामित्र जी के पुत्र थे। इन्होंने ही सुश्रुत संहिता लिखी थी। बताया जाता है कि ऋषि सुश्रुत ने ही ब्रह्मा जी के सहस्र श्लोकों को भगवान धन्वन्तरि से सुन आयुर्वेद की रचना की थी। इसके बाद अग्निवेश और अन्य शिष्यों के तंत्रों को संकलित कर चरक द्वारा चरक संहिता लिखी गई।

आप सभी धनतेरस के साथ ही साथ धन्वन्तरि दिवस भी मनायेंगे इसी आशा के साथ मैं सचिन श्रीवास्तव आप सभी के उत्तम स्वास्थ्य और आरोग्य की कामना करता हूँ।


धन्वन्तरि दिवस की मंगलमय शुभकामनाएँ..

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