*मंत्री तुलसी सिलावट का अगला भ्रष्टाचार का बीज तबादला सूची*
*सिंधिया को मोटी रकम पहुंचाकर आगामी विधानसभा चुनाव में अपनी सीट पक्की करने की जुगत में है सिलावट*
*विजया पाठक, संपादक, जगत विजन*
मध्यप्रदेश के धार जिले में भ्रष्टाचार की भेंट चढ़े निर्माणाधीन कारम बांध से प्रभावित पीड़ितों का दर्द अभी कम भी नहीं हुआ था कि इस पूरी घटना के रचियता शिवराज सरकार के कैबिनेट मंत्री तुलसी सिलावट ने एक ओर भ्रष्टाचार की बीज बो दिया है। इस बार तुलसी सिलावट ने यह बीज प्रदेश के प्रमुख विभाग जल संसाधन विभाग में बोया है और निशाना बनाया है विभाग में पदस्थ सुप्रिडेंट इंजीनियर और इसके समकक्ष पदों पर बैठे अधिकारियों को। बताया जा रहा है कि मंत्री जी ने अपने करीबी और पसंदीदा अधिकारी विभाग के ईएनसी एमएस डाबर के साथ मिलकर एक सूची तैयार की है। इस सूची में उन अधिकारियों के नाम शामिल किये गये हैं जिनके तबादले किये जाने हैं। मंत्री जी ने डाबर को साफ शब्दों में कह दिया है कि अगर उन्हें ट्रांसफर और पोस्टिंग से पैसे नहीं मिले तो वे किसी भी अधिकारी के ट्रांसफर पोस्टिंग के आदेश पर हस्ताक्षर नहीं करेंगे।
*भ्रष्टाचार की गंध में डूब गया विभाग*
विभागीय अधिकारियों की मानें तो जबसे विभाग की जिम्मेदारी तुलसी सिलावट को मिली है उन्हें पूरे विभाग में भ्रष्टाचार की गंध मचा दी है। चपरासी से लेकर उच्चाधिकारी तक सभी बगैर रिश्वत लिये या दिये कोई कार्य करने को तैयार ही नहीं है। पूरे दफ्तर में एक ही नाम चलता है कि मंत्री जी के आदेश हैं कि कोई भी कार्य बगैर रिश्वत लिये नहीं किया जायेगा। अब सोचने वाली बात यह है कि जिस मंत्री को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने पूरी निष्ठा के साथ काम करने की जिम्मेदारी एक अहम विभाग की सौंपी है, वही मंत्री विभाग को चौपट करने में पूरी तरह से जुटे हुए हैं।
*भ्रष्टाचार करने का एक कारण यह भी*
बताया जा रहा है कि तुलसी सिलावट को उनके गुरु श्रीमंत ज्योतिरादित्य सिंधिया ने साफ शब्दों में कह दिया है कि अगर अगली बार विधानसभा चुनाव में टिकट चाहिए तो मोटी रकम की व्यवस्था करके रखें। क्योंकि इस बार चुनाव में तुलसी सिलावट को टिकट होगा या नहीं इस पर संशय बरकरार है। ऐसे में सवाल यह उठता है कि अगर सिंधिया ने सिलावट को यह कह दिया है और सिलावट उनकी मांग को पूरा करने के लिये पुरजोर कोशिश में विभाग को खोखला करने में जुटे हैं तो ऐसे समय में कैबिनेट के अन्य मंत्री, मुख्यमंत्री, ईडी और लोकायुक्त क्या कर रहा है। आखिर ऐसे भ्रष्ट मंत्री के खिलाफ कोई कार्यवाही क्यों नहीं की जाती।
*चुनाव टिकट न मिलने का डर सताने लगा*
तुलसी सिलावट की बौखलाहट इस बात की ओर से साफ इशारा करती है कि कहीं न कहीं उन्हें इस बात का अंदेशा हो गया है कि आगामी चुनाव में उनका टिकट काटा जा सकता है। क्योंकि जिस जिले से सिलावट आते हैं इंदौर जिला भाजपा का अभिन्न गढ़ है। इस गढ़ में पहले से ही कई प्रमुख भाजपा कार्यकर्ता और नेता अपने लोगों को टिकट दिलाने के लिये पहले से ही जुगत लगाये बैठे हुए हैं। ऐसे में सिलावट को टिकट मिले तो भी कैसे। सूत्रों की मानें तो पिछले दिनों सिंधिया के भोपाल दौरे के दौरान सिलावट उनके दरबार में पहुंचे और अगले विधानसभा चुनाव में टिकट दिलाने को लेकर उनसे गुहार लगाने लगे। कुल मिलाकर साफ है कि सिलावट के चेहरे पर अभी से आगामी विधानसभा चुनाव में टिकट कटने का डर साफ दिखाई दे रहा है। यही कारण है कि वे चाहते हैं कि जितने दिन मंत्रीपद है उतने दिन जमकर लूटपाट मचा ली जाये।
*सिंधिया के दबाव में नहीं होती कार्यवाही*
वल्लभ भवन के गलियारों में भी सिलावट के भ्रष्टाचार की चर्चाएं चल रही हैं। अधिकारी से लेकर प्रमुख सचिव स्तर के तक के अफसर इस बात को लेकर कई बार मुख्यमंत्री से इस बात की शिकायत कर चुके हैं कि कारम बांध में हुए भ्रष्टाचार का मास्टरमाइंड अगर कोई है तो वो है तुलसी सिलावट। लेकिन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की मजबूरी है कि वो सिंधिया के दबाव में आकर अपनी सरकार बचाने के चक्कर में सिलावट पर कोई कार्यवाही नहीं कर पा रहे हैं। लेकिन मुख्यमंत्री और सिंधिया दोनों इस बात को शायद भूल गये हैं कि जनता के पास सिलावट के कारनामों का पूरा चिठ्ठा है, जिसका परिणाम आगामी विधानसभा चुनाव में देखने को मिल जायेगा।
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