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लोकमाता अहिल्यादेवी होलकर त्रिशताब्दी वर्ष श्रृंखला=53 पुण्यश्लोक अहिल्यादेवी भाग दस राजस्थान

 लोकमाता अहिल्यादेवी होलकर त्रिशताब्दी वर्ष 

श्रृंखला=53 पुण्यश्लोक अहिल्यादेवी भाग दस 

राजस्थान : 


पुष्कर : एक मंदिर और धर्मशाला का निर्माण किया था। अहिल्यादेवी ने देशभर मे अनेक मंदिरो का निर्माण एवं जीर्णोद्धार किया था जिनकी खोज आज भी जारी है । 

अहिल्यादेवी के व्यक्तिगत जीवन मे बहुत कठिनाइयाँ थी लेकिन वे भगवान शंकर जी की प्रिय भक्त थी। श्रावण मास  मे उनका मन प्रफुल्लित होता था, श्रावण के महीने मे महेश्वर मे धार्मिक अनुष्ठान चलते रहते थे, हजारो लोग प्रतिदिन भोजन करते थे । पुणे दरबार के वकील विट्ठल शामराज ने अहिल्यादेवी द्वारा किये जाने वाले दान-धर्म का पत्र के माध्यम से पुणे दरबार के सामने वर्णन इस प्रकार किया हैं - “यहां श्रावण के महीने मे तीन हज़ार ब्राह्मण प्रतिदिन भोजन करते हैं, दान-धर्म मे अनुकूलता हो इसलिये ब्राह्मणों की तीन श्रेणी बनाई गई उत्तम, मध्यम और कनिष्ठ । उनको पंचमी षष्ठी एवं सप्तमी के दिन अहिल्यादेवी दान- धर्म करती थी, देश के विभिन्न क्षेत्र से ब्राह्मण महेश्वर आते थे। दक्षिण भारत के हैदराबाद से करीब 2000 ब्राह्मण आये थे, प्रत्येक ब्राह्मण को एक रुपये से पांच रुपये तक दक्षिणा दी जाती थी, उत्तर प्रदेश के दो से ढाई हज़ार ब्राह्मणों को महेश्वर मे आने के हिसाब से एक रुपया दक्षिणा दी गयी । अहिल्यादेवी ने गरीब महिलाओ और गरीब बच्चों को भी दान-धर्म किया तथा उन्हें नौ हजार रुपयों का दान किया गया, नौ सो ब्राह्मणों को अहिल्यादेवी आटा दान मे देती थी और पाँच सो ब्राह्मणों को अलग से आटा दिया जाता था। अहिल्यादेवी स्वयं ब्राह्मणों को दान करती थी और गरीबो को वस्त्र दान करती थी, कोई भी याचक अहिल्यादेवी के दरबार से खाली नहीं लौटता था, जो लोग पुस्तक पढ़ने मे रुचि रखते थे उन्हें अहिल्यादेवी पुस्तके भेंट करती थी। महेश्वर मे श्रावस मास के अलावा दैनिक धर्मकार्य चलते रहते थे। महेश्वर पूर्ण रूप से धार्मिक नगरी थी, महेश्वर में हमेशा धार्मिक अनुष्ठान चलते रहते थे, इन अनुष्ठानों के कार्य के लिए ब्राह्मण थे, अनुष्ठान के अंत मे ब्राह्मणों को दक्षिणा दी जाती थी, तीस दिन के हिसाब से सभी को दक्षिणा दी जाती थी ।

ब्राह्मणों के नाम और उनके कार्य तथा दैनिक दक्षिणा व कुल रुपये : 

राजाराम दीक्षित नाशिककर प्रतिदिन शिवकवच पाठ करते थे, उनकी दैनिक दक्षिणा ₹ 111 थी और श्रावण मास की कुल दक्षिणा तीन हज़ार 330 थी और ऐसे ही तीन ब्राह्मण और थे जिनके कार्य अलग-अलग थे लेकिन उन्हें प्रतिदिन ₹111 की दक्षिणा दी जाती थी, हनुमंतकवच पाठ के लिये गौभट बार्शीकर थे, उन्हें प्रतिदिन ₹111 दक्षिणा दी जाती थी और श्रावण महीने की कुल दक्षिणा 3,330 होती थी।  रेणुकादास को आदित्य हृदय पाठ के लिए रखा गया था उनकी दैनिक दक्षिणा ₹111 थी और पूरे श्रावण मास मे उन्हें 3 हजार तीनसो तीस रुपये दक्षिणा दी जाती थी। विट्ठल पुणताम्बेकर को मल्हारिसहस्त्र नामपाठ के लिए रखा गया था उनकी भी दैनिक दक्षिणा 111 थी तथा श्रावण मास की कुल दक्षिणा तीन हज़ार तीनसो तीस रुपये थी। आत्माराम भट सूर्य नमस्कार के लिये नियुक्त किए गए थे, दैनिक दक्षिणा के रूप मे उन्हें प्रतिदिन  ₹1000 की दिए जाते थे और पूरे श्रावण मास मे उन्हें 30 हज़ार दिए जाते थे। इनके अलावा अहिल्यादेवी नवग्रह पाठ भी करवाती थी, नवग्रह जाप के लिए दो ब्राह्मण थे गंगाराम भट और शेशंभट, उनकी दैनिक दक्षिणा 83 रुपये थी तथा पूरे श्रावण मास की दक्षिणा पचीसों रुपये थी। ब्राह्मण यशवंत भट अर्ध्यप्रदान का कार्य करते थे, उनकी दैनिक दक्षिणा 48 रुपए थी और पूरे श्रावण महीने की दक्षिणा ग्यारह सो चालीस रुपये थी। अहिल्यादेवी के धार्मिक कार्य को पूर्ण करने के लिये 270 ब्राह्मण थे जो प्रतिदिन धार्मिक अनुष्ठान करते थे और 270 ब्राह्मणों को प्रतिदिन दक्षिणा दी जाती थी । अहिल्यादेवी ने इस प्रकार होलकर राज्य मे धार्मिक उदारता का सूत्रपात किया आज भी वह निरंतर चले आ रहा हैं। निरंतर—-

संदर्भ - बहुआयामी व्यक्तित्व अहिल्यादेवी भाग एक 

लेखिका - आयुषी जैन 

संकलन- स्वयंसेवक एवं टीम 

प्रस्तुति.... अशोक जी पोरवाल 

🙏🕉️हर हर महादेव🕉️🙏

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